
केंद्र सरकार ने मंगलवार को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया। इसके तहत दिए जाने वाले पद्म भूषण पुरस्कार के लिए पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य (Buddhadeb Bhattacharjee) को भी चुना गया है। पद्म भूषण देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। भट्टाचार्य साल 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके साथ ही वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के पोलितब्यूरो के सदस्य भी रह चुके हैं।
बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह सीपीआई (एम) से जुड़ गए थे। उन्हें सीपीआई की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव बनाया गया थे, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था।
Buddhadeb Bhattacharjee ने बंगाल में की थी औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत
एक समय तक पश्चिम बंगाल की आय का प्राथमिक साधन कृषि थी। लेकिन बुद्धदेव ने इस स्थिति को बदलने के लिए अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा जोखिम उठाते हुए औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने बंगाल में फैक्टरियों की स्थापना हेतु विदेशी और राष्ट्रीय पूंजी को आमंत्रित किया। इनमें से दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो भी शामिल रही, जिसका उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित किया गया था
इसके अलावा उनकी योजना राज्य में अन्य बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत करने की भी थी। लेकिन स्थानीय स्तर पर विरोध के चलते वह सफल नहीं हो सके और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2011 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार मनीष गुप्ता के हाथों मात मिली थी। तब मनीष गुप्ता ने बुद्धदेव भट्टाचार्य को 16,684 वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी।