
छत्तीसगढ़: प्रसंजीत सरकार: भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन पखांजूर के कार्यकर्ताओं ने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस कि जन्म जयंती के अवसर पर उनके फोटो पर माला अर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दिया इस अवसर पर छात्र नेता विक्रम मल्लिक ने कहा की जब देश अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाकर देश की आजादी के लिए बिगुल फूंका था.
नेताजी की अदम्य भावना और राष्ट्र के लिए उनके निस्वार्थ सेवा के सम्मान में उनको याद रखने के लिए भारत सरकार ने हर साल 23 जनवरी पर उनके जन्मदिन को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. नेताजी देश के लोगों विशेषकर युवाओं को विपत्ति का सामना करने में नेताजी के जीवन से प्रेरणा मिलेगी और उनमें देशभक्ति और साहस की भावना समाहित होगी.उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के साथ-साथ नेताजी का जुड़ाव सामाजिक कार्यों में भी बना रहा. अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं को ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा भी दिया.
उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान भी किया. युवा छात्र साथी पवित्र विश्वास ने कहानेताजी सुभाष चंद्र बोस साहसी, नेतृत्व कौशल से परिपूर्ण और असाधारण वक्ता थे. वे खुद तो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे ही पर उन्होंने अन्य कई लोगों को भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होने और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया था. सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने के पीछे का मकसद देश के लोगों, खासतौर पर युवाओं में नेताजी की तरह ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करने और उनमें देशभक्ति की भावना का संचार करना है
इस अवसर पर छात्र शेखर घरामी ने कहा नेताजी सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तिगत हमें सिखाता है कि आत्मसम्मान गौरव और देश की रक्षा करना ही हमारा धर्म है.
उन्होंने कहा कि नेताजी राजनीतिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक दृष्टि से क्रांतिकारि नेता थे. उन्होंने भारतीयों को झुकना नहीं लड़ना सिखाया. अनिल ने कहा कि नैतिक मूल्यों और देश प्रेम की भावना की स्थापना करके ही हम अपने महापुरुषों को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे.जिसमें भारतीय छात्र संगठन से विक्रम मल्लिक श्यामसुंदर हालदार रोशन विश्वास सुमित नंदी पवित्र विश्वास सचिन मल्लिक जयंत मल्लिक मनोरंजन सरदार विक्रम घरामी शेखर घरामी शैलेंद्र नेताम हिरामन अन्य कार्यकर्ता शामिल थे।